प्रत्येक सोने वाले को जगाने वाला बुरा लगता है,
प्रत्येक सोने वाले को जगाने वाला बुरा लगता है,
लोक निद्रा से जगाने वाला हो अथवा मोह निद्रा से l
यदि हम स्वम् के भीतर देखे तो बोध होगा कि जगत कुछ नहीं हैं, केवल चैतन्य हैं, चेतन हैं, पूर्ण आनन्द हैं l
इसका अर्थ है कि चेतन को किसी वस्तु की आवश्यकता नहीँ है l न आपके – हमारे शरीर की आवश्यकता है, न मन की l
आनन्द के लिये किसी वस्तु की आवश्यकता नहीं है l चेतन इसीलिये पूर्ण है, उसकी आवश्यकता सबको है और उसको किसी की आवश्यकता नहीं है l
चैतन्य का अर्थ है, जाग जाना, शरीर से, मन से, संसार से l
जैसे ही जागरण हुवा, हम परमानंद में प्रवेश कर जाएंगे l🙏