ऊंचाई पर चढ़ने वाला जन झुक कर के चलता है।
जो नीचे उतरता है वो अकड़ा अकड़ा लगता है।
अकड़ के चलने से न संवरती जीवन की कहानी है।
अहंकार से लाभ न मिलता केवल होती हानि है।
अकड़ के क्यों चलता है बन्दे झुकने में ही शान है।
क़दम सफलता चूमे उसके झुकता जो इन्सान है।