अच्छे इंसान की क्या क्या qualities हो सकती है ? Story by Smsing
आज का भी मेरा topic कुछ ऐसा ही है। Life में जो भी अभी तक देखा, अभी तक समझा आज भी उसी बारे में लिख रहा हूँ।
आज का मेरा सवाल है क्या एक अच्छा इंसान बनना सफल होने की निशानी नहीं है। क्या सिर्फ goal को achieve करना ही सफलता है? सच कहूँ तो इस सवाल का answer ढूँढना मेरे लिए भी थोड़ा मुश्किल है।
मैं अपना व्यतिगत विचार आपके सामने रख रहा हूँ हो सकता है, आप मेरी बात सहमत हों या असहमत हों।
आज हर कोई पैसे के पीछे भाग रहा है, इसी वजह हम लोग अपनी छोटी मगर बहुत ही important ज़िम्मेदारियों से दूर होते जा रहे हैं।
मेरे हिसाब से अगर एक सफल person एक अच्छा इंसान भी हो तो उसकी सफलता में चार चाँद लग जाते हैं। सब लोग उसकी और उसकी मेहनत की भी तारीफ करते है।
इस subject को explain करने के मैं आप लोगों के सामने एक छोटी सी story share करता हूँ जो कि एक real life से inspire है।
“एक आदमी के दो बेटे थे। वह आदमी ज्यादा अमीर नहीं था इसलिए दोनों बेटों को ज्यादा नहीं पढ़ा-लिखा पाया। उसके दोनों बेटों की सोच बिल्कुल अलग-अलग थी। बड़ा बेटा हमेशा आगे बढ़ने की सोचता था। उसे अपनी गरीबी का एहसास था। इसीलिए वो एक दिन बहुत अमीर आदमी बनना चाहता था। ताकि ऐसी गरीबी वाली परिस्थिति उसे पूरी ज़िन्दगी दुबारा ना देखनी पड़े। जब्कि उसका छोटा बेटा पुरे दिन मस्ती मारता था उसे पढ़ने लिखने का भी बिल्कुल शौक नहीं था। उसका बड़ा बेटा अपने छोटे भाई को हमेशा समझाता और डाँटता था कि पढाई कर ले। दिन भर आवारागर्दी मत किया कर, इससे कुछ हासिल नहीं होगा। नहीं मानने पर कई बार तो बड़े भाई की शिकायत के बाद उसे अपने पिता के हाथों से मार भी पड़ जाती थी। मगर फिर भी उसपर इन सब चीज़ों का कोई असर नहीं पड़ा। इसलिए उनके पिता को छोटे बेटे से ज्यादा बड़े बेटे पे गर्व था।
मगर वो आदमी पैसे के तंगी की वजह से उन दोनों को ज्यादा पढने में असमर्थ था। लिहाजा छोटे बेटे ने पढाई छोड़ दी जबकि बड़े बेटे आगे की पढाई के लिए खुद मेहनत कर कमा के पढाई करने लगा। सुबह स्कूल से आकर रोङ पे छोटी मोटी चीज़ें बेच के थोड़ा पैसे कमाता था। जिससे उसकी पढाई ना रुके।
यूँ ही दिन बीतते गए और उस आदमी के दोनों बेटे बड़े हो गए। और वो खुद बूढ़ा होने लगा था। उसका छोटा बेटा factory में काम करने लगा। जबकि बड़ा बेटा नौकरी करने के साथ-साथ पढाई भी करता था। धीरे-धीरे मेहनत करके उसने तरक्की करनी शुरू कर दी। और कुछ सालों में खुद का business शुरू कर दिया और अपनी मेहनत के बल पे अपने लिए एक अच्छा घर खरीद लिया। और अपने पिता को एक दुकान दिला के अपने साथ ही रख लिया। जबकि छोटा बेटा भी काम सीख के ठीक ठाक कमाने लग गया था। पर इतना भी नहीं कमा पाता था कि अपने लिए घर ले सके इसलिए किराये पे रहता था।
उसके बाद दोनों बेटों की शादी हो गयी कुछ टाइम बाद बच्चे भी हो गए। बड़े बेटे अपने बूढ़े पिता को समझाया कि मेरे बच्चे बड़े हो गए हैं, घर में ज्यादा जगह नहीं हो पा रही है, अब तो दुकान से आप भी थोड़ा बहुत कमा लेते हो इसलिए आप कहीं किराये पे room ले लो। उसके बूढ़े पिता बिना बुरा माने वैसा ही किया।
फिर कुछ और दिन बीत गए। एक दिन उस आदमी की किसी से लड़ाई हो गयी। तो उसने बड़े बेटे को phone किया कि उसे कोई आदमी मार रहा है जल्दी से आके बच्चा ले। मगर उसके बड़े बेटे ने कहा “आप आस-पास के लोगों से मदद माँग लो। मेरे कुछ important clients आ रखे हैं इसलिए उन्हें छोड़ के नहीं आ पाउँगा।” ये सब सुनकर उस आदमी को थोड़ा दुःख ज़रूर हुआ मगर उसने इस बात को अनदेखा करके अपने छोटे बेटे को फ़ोन करके सारी बात बतायी तो वो अपने सारे काम छोड़ के तुरन्त अपने कुछ दोस्तों के साथ अपने पिता की सहायता के लिए पहुँच गया। और अपने पिता को बचाया।
फिर भी वो आदमी हमेशा सब लोगों से अपने बड़े बेटे की तरफदारी करता था। और उसकी मेहनत और लगन की बातें बताता था।
फिर एक दिन वो बूढ़ा आदमी दूर कहीं अपने किसी रिश्तेदार के घर गया। मगर अगले दिन बुढ़ापे की वजह से वहाँ उसकी तबीयत बहुत ख़राब हो गयी। वो चल फिर भी नहीं पा रहा था। तो उसे अपने बड़े वाले बेटे की याद आयी क्यूँकि उसके पास कार थी। उसे लगा उसका बेटा उसे कार से लेने आ जायेगा। पर इस बार भी उसे निराश ही होना पड़ा। क्यूँकि इस बार उसके बड़े बेटे के office में और भी important काम था। कह दिया कि आप गाड़ी बुक करके वापस आ जाओ। इस बार वो बूढ़ा आदमी बहुत उदास हो गया। और उसने उदास मन से अपने छोटे बेटे को बताया तो इस बार भी उसके छोटे बेटे को अपने पिता की परेशानी का अंदाज़ा हो गया और सारा ज़रूरी काम छोड़ के गाड़ी बुक करके पिता को लेने के लिए चला गया और अपने पिता को वापस ले आया।
वो आदमी हैरान था जिस बेटे को वो मेहनती और कामयाब समझता था और गर्व करता था। उसने अपने रिश्तों से ज्यादा अपने काम को समझा। और जिस बेटे वह आवारा समझता था वो हर कदम पे अपनों के लिए खड़ा रहता है।
अब दोस्तों आप ही बताइये हम किसे कामयाब समझें। सिर्फ आगे बढ़ना या पैसे कामना ही सफलता है? मेरे हिसाब से अगर समाज में आपके गुणों की तारीफ होती है या लोग आपको एक अच्छा इंसान मानते हैं तो वो भी अपने आप में सफलता है।