Shayari For Mother – Labo Par Uske Kabhi Baddua Nahi Hoti
लबो पर उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक मान है जो कभी खफा नहीं होती
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है ,
माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है
मैंने रट हुए पोंछे थे किसी दिन आंसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना
अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा ,
मैं जब घर से निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है
ए अँधेरे देख ले मुंह तेरा काल हो गया ,
माँ ने आँखें खोल दी घर में उजाला हो गया
मेरी ख्वाहिश है की मैं फिर से फरिश्ता हो जॉन
मान से इस तरह लिपटूँ की बच्चा हो जॉन
‘मुनव्वर’ माँ के आगे यूँ कभी खुलकर नहीं रोना
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अछहि नहीं होती