” जब चारों और अँधेरा हो ,” गुरु ” का दीप जला लेना !
” जब गमों ने तुमको घेरा हो , तुम हाल “गुरु ” को सुना देना !
” जब दुनिया तुमसे मुँह मोड़े , तुम अपने “गुरु ” को मना लेना !
” जब अपने तुमको ठुकरा दें ,”गुरु” दर को तुम अपना लेना !
” जब कोई तुमको रुलाये तो , तुम “गुरु ” के गीत गुनगुना लेना।