Heart touching Love Story – माहिरा चीखी। – खून और मिट्टी एक ही में सन गए थे
Heart touching Love Story – Ek Bar jaroor padhe…
इक़बाल को 15 साल पहले घटी एक छोटी सी घटना याद आ रहा थी।
जब वो अपने बग़ीचे में बैठा खुदाई कर रहा था। नीम का पौधा लगाने की तैयारी कर चल रही थी।
.
.
मिट्टी खोदते वक्त इक़बाल ने खुरपी अपने हाथ में लगा ली थी जिससे खून टपकने लगे थे।
.
.
“इकबाल,संभाल के” माहिरा चीखी। हाथ में पानी लिए वो इक़बाल के पीछे ही खड़ी थी।
.
.
“कैसे काम करते हो” इक़बाल का हाथ पानी से धोते हुए माहीरा ने कहा।
खून और मिट्टी एक ही में सन गए थे” देखो तो कितना गहरा ज़ख़्म हो गया है”
.
.
“ठीक से” इक़बाल ने कहा। उसे जख्म पर पानी लग रहा था।
.
.
“दर्द हो रहा है…??” माहिरा ने पूछा जब वो इक़बाल के ज़ख़्म को मुँह से हवा दे रही थी।
.
.
“हाँ बहुत” इक़बाल ने बनावटी दर्द दिखाते हुए कहा।
.
.
“कहाँ…??” माहिरा ने मासूमियत से पूछा।
.
.
“हर जगह” इक़बाल ने आँखें माहिरा के चेहरे को देख रही थी।
.
.
“क्या…??” माहिरा ने इक़बाल को देखते हुए पूछा।
.
.
“बहुत दर्द हो रहा है” इक़बाल ने थोड़ा और नाटक किया और माहिरा ने थोड़ा और प्यार दिखाया।
.
.
माहिरा की नज़र जब इक़बाल के चेहरे की तरफ़ गई तो वो मंद मंद मुस्कुराता खड़ा उसे ही देख रहा था।
माहिरा समझ चुकी थी कि इकबाल फिर उसे तंग कर रहा है।
.
.
“यूँ लायर,ड्रामा किंग। बहुत मारूँगी मैं तुम्हें” माहिरा ने उसे पकड़ते हुए कहा।
इससे पहले कि इक़बाल उसके हाथ लग जाता मौका पाते ही वो वहाँ से भाग निकला।
.
.
“क्या सोच रहे हो…??” माहिरा ने इक़बाल को ख्यालों में डूबा हुआ देखकर पूछा।
.
.
“सोच रहाँ हूँ…..वक्त भी कितनी अजीब चीज़ है।
कभी क़ैद हो कर रह जाती है तो कभी तेजी से आगे निकल जाती है और हम पीछे रह जाते है’
इक़बाल ने एक सुर में कहा
.
.
“तुमने दूसरी शादी नहीं की…??” माहिरा ने पूछा।
.
.
“सवाल ही नहीं उठता” इक़बाल ने कहा “दूसरी शादी वो करते है जिन्हें प्यार करना नहीं आता”
.
.
माहिरा इक़बाल को आँखें फाड़ कर देख रही थी।
इक़बाल उसके इस हरकत को समझ नहीं पा रहा था।
.
.
“ओह सॉरी,मेरा मतलब तुमसे नहीं था” इक़बाल ने कहा “मैं तो बस…”
.
.
“आई नो” माहिरा ने कहा
“अंदर चले…?? मौसम ख़राब हो रहा है। शायद बारिश होने वाली है”
.
.
5.00 AM
.
.
हल्की-हल्की बारिश होनी शुरू हो चुकी थी।
.
सुबह होने में कुछ ही वक्त रह गए थे।
“कॉफी”माहिरा ने कॉफी का कप आगे बढ़ाते हुए कहा
.
“थैंक्स” इक़बाल ने शुक्रिया अदा किया
.
.
“यू नो व्हॉट,जब तुम होश में आ रहे थे तब मैं घबरा गई थी” माहिरा ने कहा
” मैं कैसे तुम्हारा सामना करूँगी और उसके बाद फिर आगे क्या होगा”
.
.
“वसीम प्यार करता है तुम्हें…??” इक़बाल ने माहिरा की बात को नजरअंदाज़ करते हुए पूछा।
.
.
“यह कैसा सवाल है…??” माहिरा ने भौंहे चढ़ाते हुए पूछा।
.
.
“मतलब नहीं करता” इक़बाल ने अंदाज़ा लगाया।
.
.
“वो मुझसे बहुत प्यार करते है” माहिरा ने ज़ोर देकर कहा लेकिन अगले ही पल उसकी आँखों ने सबकुछ बयाँ कर दिया”
.
.
जुनैद किसी के हाथों से जल्दी ही पासपोर्ट भिजवा देगा। पासपोर्ट मिलते ही अपने वतन लौट जाना” माहिरा यह कहकर वहाँ से कीचन की ओर लौट गई।
.
किचन में पहुँचते ही अनायस उसके आँखों से आँसुओं की धारा सी बहने लगी। माहिरा के आँसुओं से साफ़ ज़ाहिर हो रहा था….बात अब यह नहीं थी कि वो वसीम से प्यार करती है या नहीं। या फिर वसीम उससे प्यार करता है या नहीं।
बात दरअसल अब यह थी कि क्या वो फिर से इक़बाल को खो सकेगी।
खुदा न ख्वास्ता अगर माहिरा इस वक्त कमज़ोर पड़ गई तो तीन जिंदगियाँ दाँव पर लग जानी थी।
.
.
माहिरा के आँखों के सामने वो दिन किसी फ़िल्म की तरह चलने लगा जब इक़बाल का रिश्ता उसके घर आया था।
.
.
उस दिन भींगे बालों के साथ माहिरा नहाकर जब वॉशरूम से बाहर आई तो उसके अब्बू और अम्मी कमरे में बैठे उसका इंतज़ार कर रहे है।
.
दोनों के चेहरों पर मुस्कान थी। माहिरा उन्हें देखकर थोड़ी असमंजस में पड़ गई थी।
उसके अब्बू ने पास जाकर अपना हाथ माहिरा के सिर पर प्यार से रख दिया।
अब्बू का हाथ सिर पर पाकर माहिरा के चेहरे पर भी मुस्कान बिखर गई।
वो अब भी इसकी वजह नहीं समझ पाई थी।
.
.
“हमारी माहिरा बड़ी हो गई है” माहिरा के अब्बू भावुक हो रहे थे
“नाक बहाते और चोटी बाँधते-बाँधते कब हमारी बच्ची इतनी बड़ी हो गई पता ही नहीं चला।
हम इतनी जल्दी इसे विदा नहीं कर पाएँगे”
.
.
“आप क्यों परेशान होते है” माहिरा की अम्मी ने कहा
“अभी तो रिश्ता आया है न…..जब मन बनेगा निकाह करा देंगे।
आख़िर एक दिन तो विदा करना ही है इसे”
.
.
अब जाकर माहिरा को बात समझ में आई थी।
उसके लिए रिश्ता आ चुका था और उसने अपनी अम्मी-अब्बू का चेहरा देख कर यह भी जान लिया था कि रिश्ता पक्का भी है।
दरवाज़े के बाहर माहिरा की चचेरी बहनें छुपकर उनकी बातें सुन रही थी और खिलखिला रही थी।
.
.
“कोई ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं है” माहिरा के अब्बू ने उसे सीने से लगाते हुए कहा”
हम इंगेजमेंट करा देते है फिर जब मन हो बता देना निकाह भी करा देंगे”
.
“अब्बू”माहिरा झेंप गई।
.
.
“मैं तो बस इसलिए कह रहा था कि कभी यह मत सोचना कि हम तुम्हें दूर भेज कर ख़ुश रहेंगे” माहिरा के अब्बू ने हँसते हुए कहा।
.
.
“चलिए अब,बाहर जोया और शाबिया अंदर आने का वेट कर रही है “माहिरा की अम्मी ने अपने भतीजीओं की ओर इशारा करते हुए कहा।
.
.
उनके बाहर जाते ही दोनों बहनें अंदर आकर माहिरा से लिपट गई।