Nirankari Poems

Good Morning Poem in Hindi – उठ जाग मुसाफिर भोर भई

उठ जाग मुसाफिर भोर भई,
अब रैन कहाँ जो सोवत है।
जो जागत है सो पावत है,
जो सोवत है सो खोवत है॥

उठ नींद से अँखियाँ खोल जरा,
और अपने प्रभु का ध्यान लगा।
यह प्रीति करने की रीति नहीं,
प्रभु जागत है तू सोवत है॥

जो कल करना सो आज कर ले,
जो आज करना है सो अब कर ले।
जब चिड़ियों ने चुग खेत,
फिर पछताये क्या होवत है॥

नादान भुगत करनी अपनी,
रे पापी पाप में चैन कहाँ।
जब पाप की गठरी शीश धरी,
तब शीश पकड़ क्यों रोवत है॥

🥀सुप्रभात🌱
🍃आपका दिन मंगलमय हो

One thought on “Good Morning Poem in Hindi – उठ जाग मुसाफिर भोर भई

  • I conceive you have remarked some very interesting points, thankyou for the post.

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