Few points about a Women – औरत सब संभाल लेती है
Few points about Women
औरत सब संभाल लेती है..
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सिर्फ महसूस किया जा सकता है…
● वो “औरत” दौड़ कर रसोई तक ,
दूध बिखरने से पहले बचा लेती है।
● समेटने के कामयाब मामूली लम्हों में ,
बिखरे “ख्वाबों” का गम भुला देती है।
● वक्त रहते रोटी जलने से बचा लेती है , कितनी “हसरतों” की राख उडा देती है।
● एक कप टूटने से पहले सम्हालती है ,
टूटे “हौसलों” को मर्जी से गिरा देती है।
● कपडों के दाग छुडा लेती सलीके से ,
ताजा “जख्मों” के हरे दाग भुला देती है।
● कैद करती “अरमान” भूलने की खातिर”,
रसोई के बंद डिब्बों में सजा लेती है।
● नाजुक लम्हों के “अफसोस” की स्याही,
दिल की दीवार से बेबस मिटा लेती है।
● मेज कुर्सियों से “गर्द” साफ करती ,
चंद ख्वाबों पर “धूल” चढा लेती है।
● सबके सांचे में ढालते अपनी जिंदगी, “हुनर” बर्तन धोते सिंक में बहा देती है।
कपडों की तह में लपेट कुछ “शौक”,
अलमारी में खामोशी से दबा देती है।
● अजीज चेहरों की आसानी की खातिर ,
अपने “मकसद” आले में रख भुला देती है।
● घर भर को उन्मुक्त गगन में उडता देखने ,
अपने सपनों के पंख काट लेती है।
हां… हर घर में एक “औरत” है।
जो बिखरने से पहले ही सब सम्हाल लेती है..!!
•°•°नारी शक्ति को समर्पित•°•°