जीवन के दो चेहरे हैं ये सुख दुख जिनको कहते हैं।
जीवन के दो चेहरे हैं ये सुख दुख जिनको कहते हैं।
इन्हें प्रभु की देन समझ के भक्त रज़ा में रहते हैं।
प्रभु इच्छा में जीकर अपने जीवन को चलाते हैं।
मालिक ख़ालिक को जो भाये ढंग वही अपनाते हैं।
सुख दुख दोनों दाता के हैं भक्तों को अहसास है।
इसीलिये तो कभी न इनका डोलता विश्वास है।
हर रंग में हर हाल में ये शुकर शुकर ही करते हैं।
कहे ‘हरदेव’ भगत जन हरदम आनंद से विचरते हैं।