मन के भीतर एक दीप जलायें
सूर्यास्त के समय एक बार सूर्य ने सबसे पूछा, मेरी अनुपस्थिति में मेरी जगह कौन कार्य करेगा?
समस्त विश्व में सन्नाटा छा गया।
किसी के पास कोई उत्तर नहीं था।
तभी कोने से एक आवाज आई–
दीपक ने कहा “मैं हूं ना”
मैं अपना पूरा प्रयास करुंगा ।
आपकी सोच में दम होना चाहिए , चमक होनी चाहिए।
छोटा -बड़ा होने से फर्क नहीं पड़ता, सोच बड़ी होनी चाहिए।
“मन के भीतर एक दीप जलायें।”
आप का दिन शुभ
जीवन सुखी और
समय अनुकूल हो।