न मैं गिरा और न मेरी उम्मीद
*”न मैं गिरा,और न मेरी*
*उम्मीदों के मीनार गिरे..!*
*पर.. लोग मुझे गिराने मे*
*कई बार गिरे…!!”*
*उम्मीदों के मीनार गिरे..!*
*पर.. लोग मुझे गिराने मे*
*कई बार गिरे…!!”*
*सवाल जहर का नहीं था*
*वो तो मैं पी गया,*
*तकलीफ लोगों को तब हुई,*
*जब मैं फिर भी जी गया.*
*जब कोई “हाथ” और“साथ”* *दोनों ही छोड़ देता है,* *तब “कुदरत” कोई न कोई* *उंगली पकड़ने वाला भेज देती है,* *इसी का नाम “जिदंगी” है…!!🌹
Good Morning