किसे ख़बर है कैसा होगा कल जो आने वाला है।
किसे ख़बर है कैसा होगा कल जो आने वाला है।
इस दुनिया में क्या क्या हमको रंग दिखाने वाला है।
थी जहां पर चहल पहल कल आज वहां वीराना है।
कल हक़ीक़त समझा जिसको आज बना अफ़साना है।
रह न सकेंगे जग में किसी के सब दिन एक समान कभी।
धन दौलत ताक़त यौवन का मत करना अभिमान कभी।
हाथ है डोर विधाता के सब मिट्टी के खिलौने हैं।